नागपुर न्यूज डेस्क: नागपुर का आसमान अब देश के सबसे व्यस्त एयर रूट्स में से एक बन चुका है। रोज़ाना यहां से करीब 1,780 विमान गुजरते हैं और 100 से ज़्यादा विमान रिक्रॉस करते हैं। यानी, एक विमान एक दिशा से आता है तो दूसरा दूसरी दिशा से। 40,000 फीट से ऊपर की ऊंचाई पर जब चारों दिशाओं से विमान एक-दूसरे के पास से गुजरते हैं, तब एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) के कर्मचारियों को चौबीसों घंटे अलर्ट रहना पड़ता है, क्योंकि ज़रा-सी चूक भी बड़ी दुर्घटना में बदल सकती है।
जानकारों के मुताबिक, नागपुर के आसमान में 70 से ज़्यादा ‘हॉटस्पॉट’ हैं, जहां विमानों के बीच टकराव का खतरा बना रहता है। नागपुर एटीसी का दायरा करीब 3 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला है, जिसमें भोपाल, इंदौर, जबलपुर, गोंदिया और रायपुर जैसे छोटे हवाई अड्डों की उड़ानों की मॉनिटरिंग भी यहीं से होती है। देश के बीचोंबीच स्थित होने के कारण नागपुर का एटीसी लगातार व्यस्त रहता है और यहां से गुजरने वाले विमानों की संख्या हर साल बढ़ती जा रही है।
पिछले साल जहां 1,500 विमान प्रतिदिन इस रूट से क्रॉस होते थे, वहीं इस साल यह आंकड़ा 1,780 तक पहुंच गया है। आधुनिक एटीसी सिस्टम में ‘कनफ्लिक्ट अलर्ट’ और ‘ट्रैफिक कोलिजन अवॉइडेंस सिस्टम’ जैसे उपकरण लगाए गए हैं, जो किसी भी संभावित खतरे से पहले अलर्ट कर देते हैं। एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स को हर पल सतर्क रहकर तुरंत निर्णय लेना होता है कि कौन-सा विमान ऊपर, नीचे या बगल से गुज़रे ताकि सुरक्षा बनी रहे।
वर्तमान में नागपुर एटीसी में 160 एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स तैनात हैं, जिनमें से 50 ‘हॉटस्पॉट’ ज़ोन संभालने के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित हैं। बढ़ते हवाई ट्रैफिक को देखते हुए अब 40 और प्रशिक्षित कर्मियों की जरूरत महसूस की जा रही है। इसके अलावा, नागपुर के हवाई क्षेत्र को उत्तर और दक्षिण जोन में बांटकर एक नई टीम तैयार की जा रही है, ताकि 32,000 फीट से कम ऊंचाई पर उड़ान भरने वाले विमानों को और बेहतर तरीके से नियंत्रित किया जा सके।